Friday 21 June 2013

डा0 लेनिन के हत्‍या करने की आशंका के संदर्भ में।



 सुनील गुप्ता द्वारा अपनी रिश्तेदार से बातचीत की रिकार्डिंग संलग्नक है। (संलग्नक संख्या-1) जिसमें सुनील गुप्ता गालिया दे रहा है और गैगवार की बात कर रहा है और अपने रिश्तेदार को धमकी दे रहा है। सबसे आश्चर्य की बात है कि वह कह रहा है कि फेसबुक बनाकर संस्था को बरबाद कर दिया। जबकि दूसरी तरफ श्रुति नागवंशी के फोटो का इस्तेमाल मानवीय गरिमा के खिलाफ कियाजिस पर श्रुति ने कैण्ट थाना-वाराणसी में मुकदमा (मु00सं0 418/13, 66, 66, 67 BIT एक्ट) दर्ज किया है। (संलग्नक संख्या-2) किन्तु अभी उसने पुनः अपने फेसबुक एकाउन्ट------ पर भगवान कृष्ण की फोटो को सुनील बताया और सपना को दोपद्री बताया। (संलग्नक संख्या-3) सबसे बड़ी बात है कि बिना तलाक के अभी सुनील व सपना हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत पति-पत्नी है। ऐसे में अपने को कृष्ण भगवान दिखानाये हिन्दू धर्म के भावनाओं के खिलाफ है। सुनील गुप्ता की मानसिक स्थिति एक शातिर महिला विरोध अपराधी की हो गयी है। इसी कारण उसकी पहली पत्नी ने आत्महत्या किया। (पोस्टमार्टम रिपोर्ट,संलग्नक संख्या-4) आश्यर्च की बात है कि 13 नवम्बर 2011 को सुनील अपनी पत्नी को घर से भागना बताया है।(संलग्नक संख्या-5) जबकि पारिवारिक न्यायालय से जुलाई 2011 से विदा-विदाई का दावा किया। (संलग्नक संख्या-6) इससे सुनील गुप्ता की धूर्तता व अपराधी प्रवृत्ति का पता चलाता है। 2005 में जबरिया विवाह के बाद 2010 से मनोवैज्ञानिक चिकित्सको से दवा कराना शुरू किया। पूरी आशंका है कि सुनील गुप्ता सपना की हत्या करा सकता है।

सुनील गुप्ता खुद माननीय उच्च न्यायालय में मुकदमा दाखिल किया कि मैने उसकी पत्नी को गैरकानूनी रुप से जबरदस्ती रखा हूँ। और पांच लाख रुपये मांग रहा हूँ। (संलग्नक संख्या-7) इस पर 18 मार्च 2013 को माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष मैं प्रस्तुत हुआ। सपना से उसके भाई श्याम भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुए। जिसपर माननीय उच्च न्यायालय ने फैसले में कहा (संलग्नक संख्या-8)

                “The Petition Stands disposed of, accordingly. Corpus is set at liberty she way go anywhere as per her wish & desire. Her husband Sunil Kumar Gupta is restrained from making any kind of interference in the peaceful life and liberty of the Corpus.”

                सबसे बड़ी बात माननीय उच्च न्यायालय के इस फैसले को छिपाते हुए वही आरोप पुनः विभिन्न अधिकारियों एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (केस संख्या 21574/24/75/2013) को जाॅच के द्वारा सरकारी समय में सरकारी संसाधनों का दुरूपयोग कर रहा है। जो Cr.Pc की धारा 182के तहत अपराधिक कृत्य है।

विदित है कि 2 दिसम्बर 2013 को सपना अपने भाई श्याम व वकील के साथ समिति के कार्यालय मदद से आयी थी। उसी दिन सपना ने विभिन्न अधिकारियों से पंजीकृत पत्र से प्रार्थना पत्र दिया। (संलग्नक संख्या-9) और फिर 5 दिसम्बर 2012 को समिति ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (केस 42218/24/72/2013/ UC) व पुलिस अधिकारियों को प्रार्थनापत्र भेजा था। (संलग्नक संख्या-10) 20 दिसम्बर 2012 को बरवाद करने की धमकी सुनील ने दीजिसपर प्रार्थना पत्र दिया। (संलग्नक संख्या-11) पुनः 16 जनवरी 2013 को मो0नं0 +91 9452302585 से मेरे मोबाइल +91 9935599333 पर धमकी फोन आयाजिसपर पुनः मैने प्रार्थनापत्र दिया। (संलग्नक संख्या-12) मेरे पर 24 अपै्रल 2013 को हमला हुआ जिसपर उच्च पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर 25 अपै्रल 2013 को दर्ज हुआ। (संलग्नक संख्या-13) 13 मई 2013 को इस सिलसिले में मैने SSP वाराणसी को पत्र भेजा है। (संलग्नक संख्या-14)

कृपया न्यायोचित कार्यवाही करने की कृपा करेंजिससे आगे कोई अनहोनी सुनील कुमार गुप्ता न कर दें।

Thursday 20 June 2013

My statement before my death


The accused of this case is police officials. On 16th June, 2013 the police official who came to my house said that now police are investigating your case under section 307 (attempt to murder) and after few days we are going to investigate a case under section 309 (suicide)of the IPC. If you are not helping us in making compromise with Bhageran Mahto. 


The police gave me this information in threatening way and already yesterday I mentioned in the letter sent to NHRC and other concerned authorities. http://www.pvchr.net/2013/06/fake-case-against-lenin-raghuvanshi-and.html